क्यों कहते हो सब समान है
सब ईश्वर की संतान है
गर ऐसा है तो है क्यों नहीं
सबके सब धनवान है
कोई जी रहा बिन रोटी के
कोई फांकता पकवान है
गर पूछो ये बात तो कहते
मेरा भारत महान है
कोई है जीता भूखा नंगा
कोई ओढे रेशमी परिधान है
राज है क्या इस विडम्बना का
क्या ये राष्ट्र की शान है ?
कर लो परहित दो गरीब को
इसका भी सम्मान करो
अरे ! ये भी तो अपना भाई है
ना दिल में अभिमान करो
कर लो थोडा पुण्य काम
इसके सर पर भी ताज़ रखो
इतनें से ही खुश हो लेगा वो
इस मानवता की लाज रखो
क्यों कहते हो सब समान है
सब ईश्वर की संतान है
गर ऐसा है तो है क्यों नही
सब के सब धनवान है ।
बहुत सुन्दर रचना .. बिसंगातियों को दर्शाती हुई
ReplyDeleteबहुत-2धन्यवाद वर्मा जी , प्रोत्साहन के लिए।
ReplyDeleteसच कहा आपने ...... दिल को दिलासा देने ले लिए ही ये बाते ठीक लगती है अन्यथा नही .....
ReplyDeleteआज समाज मे दिखाई दे रही विसंगतियों की ओर कटाक्ष है ।आपका जो मत हो कृपया मार्गदर्शन करें ।
ReplyDeletecome and meet me now
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