ऊंचाइयों को छूनें को अक्सर
क्यों करता हर पल ये मेरा मन
क्या अब ये आजमानें चला है
मेरी सीमाएं और मेरी लगन ।
प्रति -क्षण रहता विचारों में डूबा
ना जानें क्या है इसका मंसूबा
उलझा रहता है खयालों में
कुछ चाहे कुछ अनचाहे सवालों में।
सुलझाए वो जब एक कडी
तो दूसरी है तैय्यार खडी
कशमकश के झमेले में जान पडी
मन दुविधा में कैसे आई ये घडी ।
मन ने कुछ विचार किया
नव - आशा का संचार किया
आई विगत स्मृतियां ज्यों ही
मन नें उनको दर - किनार किया।
मत खोना रे मन अतीत में
कुछ सुख ना पाओगे व्यतीत में
संगीत खुशी का गाओ तुम
सुर- मिठास भरो इस नए गीत में।
beautiful post, att Murilo - Hiper Ebooks
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